भारत के राष्ट्रपतियों की सूची (1950 – वर्तमान)

भारत के राष्ट्रपति देश का मुखिया और पहला नागरिक होते हैं। भारतीय सशस्त्र सेना की सर्वोच्च कमान भी राष्ट्रपति के पास होती है। भारत के राष्ट्रपति का चयन लोक सभा, राज्यसभा और विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा होता है। उनका कार्यकाल 5 वर्षों का होता है।

भारत की स्वतंत्रता के बाद से अब तक, 14 राष्ट्रपति हुए हैं। भारतीय संविधान द्वारा राष्ट्रपति के पद की स्थापना की गई थी। 14 राष्ट्रपतियों के अलावा, 3 कार्यवाहक राष्ट्रपति भी थे, जो पदस्थ राष्ट्रपति की मृत्यु के बाद नियुक्त किए जाते थे। भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद थे।

पूर्व में 7 राजनीतिक पार्टियों के सदस्य राष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं। इनमें से 6 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और 1 जनता पार्टी के सदस्य शामिल थे, जो बाद में राष्ट्रपति बने। दो राष्ट्रपति, ज़ाकिर हुसैन और फ़ख़रुद्दीन अली अहमद, जिनके पदस्थ रहते हुए मृत्यु हुई। 

भारत के 13वें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी हैं जो 25 जुलाई 2012 को भारत के राष्ट्रपति के तौर पर चुने गए थे। पहले वे भारत सरकार में वित्त मंत्री, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे। उनका मूल निवास पश्चिम बंगाल में है इसलिए वे इस राज्य से पहले राष्ट्रपति थे। 

इससे पहले, प्रतिभा पाटिल भारत की पहली महिला राष्ट्रपति थीं। 

25 जुलाई 2017 को, रामनाथ कोविंद भारत के 14वें राष्ट्रपति बने।

 वर्तमान में द्रौपदी मुर्मू भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं। उन्होंने 25 जुलाई 2022 को भारत की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुईं।

भारत के राष्ट्रपतियों की सूची निम्नलिखित है –

1. डॉ. राजेंद्र प्रसाद(१८८४-१९६३)

डॉ. राजेंद्र प्रसाद

पदग्रहण: २६ जनवरी १९५० (१९५२ चुनाव & १९५७ चुनाव)

पदमुक्त: १३ मई १९६२

उपराष्ट्रपति: डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन

टिप्पणी

राजेन्द्र प्रसाद भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता और भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपना अहम योगदान दिया था और उन्हें “जन्म कुंडली के ज्ञानी” के नाम से भी जाना जाता है। राजेन्द्र प्रसाद भारत के इतिहास में एक बहुत बड़े नेता थे, जो अपनी अद्भुत व्यक्तित्व और सेवानिवृत्ति के लिए जाने जाते हैं।

राजेंद्र प्रसाद, जो बिहार से थे, भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने। वे एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे। राजेंद्र प्रसाद एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने दो बार राष्ट्रपति के पद की जिम्मेदारी संभाली थी।

2. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन(१८८८ –१९७५)

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

पदग्रहण: १३ मई १९६२ (१९६२ चुनाव)

पदमुक्त: १३ मई १९६७

उपराष्ट्रपति: ज़ाकिर हुसैन

टिप्पणी

डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे। उन्हें भारत के सबसे प्रख्यात शिक्षाविद् और दार्शनिक में से एक माना जाता है। उन्होंने विभिन्न विषयों पर विस्तृत रूप से लेखन किया था और उनके द्वारा लिखित निबंधों और पुस्तकों ने उन्हें विश्व स्तर पर पहचान दिलाई। राधाकृष्णन ने भारतीय संस्कृति और दर्शन को अपने लेखों में गहराई से बताया था जिससे वह भारत की राष्ट्रीय और धार्मिक विरासत का प्रतिनिधित्व करते थे।

राधाकृष्णन एक प्रमुख दर्शनशास्त्री और लेखक थे। उन्होंने आंध्र विश्वविद्यालय और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में भी सेवा की थी।

3. ज़ाकिर हुसैन(१८९७ –१९६९)

ज़ाकिर हुसैन

पदग्रहण: १३ मई १९६७ (१९६७ चुनाव)

पदमुक्त: ३ मई १९६९

उपराष्ट्रपति: वराहगिरि वेंकट गिरि

टिप्पणी

ज़ाकिर हुसैन एक भारतीय फिल्म निर्देशक थे जिन्हें अपनी फिल्मों के लिए जाना जाता है। उन्होंने भारतीय फिल्म उद्योग में कई मशहूर फिल्मों का निर्देशन किया था, जिनमें “पुराना मंदिर” और “कभी-कभी” शामिल हैं। उनके द्वारा निर्देशित फिल्में उन्होंने भारतीय सिनेमा के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया था। ज़ाकिर हुसैन की फिल्में उनकी कला और दलीलों के लिए भी जानी जाती हैं।

ज़ाकिर हुसैन पद्म विभूषण और भारत रत्न के भी प्राप्तकर्ता थे और वे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति थे।

वराहगिरि वेंकट गिरि(१८९४–१९८०)

वराहगिरि वेंकट गिरि

पदग्रहण: ३ मई १९६९

पदमुक्त: २० जुलाई १९६९

टिप्पणी

जब वर्तमान पदावती राष्ट्रपति ज़ाकिर हुसैन की मृत्यु हुई तो वी.वी. गिरि को कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किया गया।

वराहगिरि वेंकट गिरि भारत के पूर्व उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। उन्हें अपने व्यावसायिक ज्ञान और विधि विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है। वह न्याय मंत्रालय में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का भी संभालने वाले थे। वराहगिरि वेंकट गिरि ने अपनी निष्ठा, न्याय के प्रति अटल समर्पण और कार्यकुशलता के लिए सराहा जाता है। उनकी जुड़वां भाई रामेश वेंकट गिरि भी भारत के पूर्व उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे थे।

मुहम्मद हिदायतुल्लाह(१९०५–१९९२)

मुहम्मद हिदायतुल्लाह

पदग्रहण: २० जुलाई १९६९

पदमुक्त: २४ अगस्त १९६९

टिप्पणी

मुहम्मद हिदायतुल्लाह, भारत के पहले मुस्लिम मुख्य न्यायाधीश थे और वे ब्रिटिश इंडिया ऑर्डर के प्राप्तकर्ता भी थे। उन्होंने दो अवसरों पर भारत के कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में भी कार्यभार संभाला था।

मुहम्मद हिदायतुल्लाह एक भारतीय सियासी थे जिन्होंने भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया था। उन्होंने 25 जुलाई 1979 से 25 जुलाई 1984 तक भारत के राष्ट्रपति के तौर पर कार्य किया था।

मुहम्मद हिदायतुल्लाह एक जाने-माने शिक्षाविद् और राजनेता थे जिन्होंने अपने कौशल के कारण राष्ट्रपति के पद पर चुने गए थे। उनके कार्यकाल में वे भारत के राष्ट्रीय उद्यमों और सामाजिक विषयों पर विस्तार से चर्चा करने के लिए जाने जाते थे। उनकी मृत्यु नवंबर 1986 में हुई थी।

4. वराहगिरि वेंकट गिरि(१८९४–१९८०)

वराहगिरि वेंकट गिरि

पदग्रहण: २४ अगस्त १९६९ (१९६९ चुनाव)

पदमुक्त: २४ अगस्त १९७४

उपराष्ट्रपति: गोपाल स्वरुप पाठक

टिप्पणी

वराहगिरि वेंकट गिरि भारत के पूर्व उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। उन्हें अपने व्यावसायिक ज्ञान और विधि विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है। वह न्याय मंत्रालय में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का भी संभालने वाले थे।

वराहगिरि वेंकट गिरि ने अपनी निष्ठा, न्याय के प्रति अटल समर्पण और कार्यकुशलता के लिए सराहा जाता है। उनकी जुड़वां भाई रामेश वेंकट गिरि भी भारत के पूर्व उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे थे। गिरि एक ऐसे व्यक्ति थे जो कार्यवाहक राष्ट्रपति और राष्ट्रपति दोनों के पद पर बने थे। उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

5. फ़ख़रुद्दीन अली अहमद(१९०५–१९७७)

फ़ख़रुद्दीन अली अहमद

पदग्रहण: २४ अगस्त १९७४ (१९७४ चुनाव)

पदमुक्त: ११ फ़रवरी १९७७

उपराष्ट्रपति: बासप्पा दनप्पा जत्ती

टिप्पणी

फ़ख़रुद्दीन अली अहमद राष्ट्रपति बनने से पहले मंत्री थे। उनकी पदस्थ रहते हुए उनकी मृत्यु हो गई। वे दूसरे राष्ट्रपति थे जिन्होंने अपने कार्यकाल को समाप्त कर लिया था।

फ़ख़रुद्दीन अली अहमद भारत के १३वें राष्ट्रपति थे। उन्होंने २५ जुलाई १९८७ से २५ जुलाई १९९२ तक भारत के राष्ट्रपति के पद पर रहा। वे एक विद्वान और राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने अपनी जीवनी में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जैसे भारत के उपराष्ट्रपति, लोक सभा के स्पीकर और राज्यसभा के अध्यक्ष थे। उन्होंने भारत के विकास और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए।

बासप्पा दनप्पा जत्ती(१९१२–२००२)

बासप्पा दनप्पा जत्ती

पदग्रहण: ११ फ़रवरी १९७७

पदमुक्त: २५ जुलाई १९७७

टिप्पणी

भारत के कार्यवाहक राष्ट्रपति बनने से पहले, बी.डी. जत्ती पहले मैसूर राज्य के मुख्यमंत्री थे। उनके बाद, फ़ख़रुद्दीन अली अहमद की मृत्यु के बाद वे कार्यवाहक राष्ट्रपति बने।

बासप्पा दनप्पा जत्ती भारत के 14वें राष्ट्रपति हैं। वे 25 जुलाई, 2017 से 25 जुलाई, 2022 तक इस पद पर रहे थे। जत्ती एक अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं और उन्होंने अपनी सेवाओं से देश और समाज के लिए बहुत कुछ किया है। उनकी सोच विश्वासों की रक्षा और संवेदनशीलता के प्रति होती है।

6. नीलम संजीव रेड्डी(१९१३–१९९६)

नीलम संजीव रेड्डी

पदग्रहण: २५ जुलाई १९७७ (१९७७ चुनाव)

पदमुक्त: २५ जुलाई १९८२

उपराष्ट्रपति: मुहम्मद हिदायतुल्लाह

टिप्पणी

नीलम संजीव रेड्डी अंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे। उन्होंने अंध्र प्रदेश से चुने गए एकमात्र सांसद की जगह ली थी। उन्हें २६ मार्च १९७७ को लोकसभा के अध्यक्ष चुना गया था और उन्होंने इस पद से १३ जुलाई १९७७ को इस्तीफा दे दिया था। बाद में उन्हें भारत के छठे राष्ट्रपति चुना गया था।

नीलम संजीव रेड्डी भारत के 14वें राष्ट्रपति हैं। वे 27 जुलाई 2022 से राष्ट्रपति के पद पर हैं। उनका जन्म 19 मई 1949 को आंध्र प्रदेश के छिनगदेरुपल्ली गांव में हुआ था।

उन्होंने चिकित्सा शिक्षा प्राप्त की और स्वयं को एक उत्कृष्ट विशेषज्ञ चिकित्सक के रूप में साबित किया है। रेड्डी ने भारतीय राजनीति में भी अपनी भूमिका निभाई है और 2002 से 2012 तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा की हैं।

उन्होंने बड़े प्रयासों के बाद अपने स्वस्थ जीवन शैली और चिकित्सा ज्ञान के माध्यम से भारतीय समाज के लिए बहुत से उपलब्धियों को हासिल किया हैं।

7. ज्ञानी जैल सिंह(1916–1994)

ज्ञानी जैल सिंह

पदग्रहण: २५ जुलाई १९८२ (१९८२ चुनाव)

पदमुक्त: २५ जुलाई १९८७

उपराष्ट्रपति: रामास्वामी वेंकटरमण

टिप्पणी

जैल सिंह ने मार्च १९७२ में पंजाब राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्ति प्राप्त की थी और उन्होंने १९८० में गृह मंत्रालय के मंत्री के रूप में काम किया था।

ज्ञानी जैल सिंह भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे जिन्होंने अपने विशिष्ट व्यक्तित्व और कौशल से देश को सेवा की थी। उन्होंने राजनीति में अपनी दक्षता का प्रदर्शन करके अपने देश के उन्नयन और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। ज्ञानी जैल सिंह के जीवन पर उनकी निष्ठा, समर्पण और विचारधारा को समझना महत्वपूर्ण है।

8. रामास्वामी वेंकटरमण(१९१०–२००९)

रामास्वामी वेंकटरमण

पदग्रहण: २५ जुलाई १९८७ (१९८७ चुनाव)

पदमुक्त: २५ जुलाई १९९२

उपराष्ट्रपति: शंकरदयाल शर्मा

टिप्पणी

1942 में, वेंकटरमण भारतीय स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में जेल जाएं। उन्हें जेल से छुटने के बाद कांग्रेस पार्टी के सांसद बनाया गया। इसके अलावा उन्होंने भारत के वित्त और उद्योग मंत्री और रक्षा मंत्री के रूप में भी काम किया।

रामास्वामी वेंकटरमण भारत के 13वें राष्ट्रपति थे। वे भारतीय राजनीति के जाने-माने नेता थे और अपने अधिकृत कार्यकाल में देश के लिए काफी महत्वपूर्ण निर्णय लेते रहे।

उनकी गांधीवादी सोच और सरल जीवनशैली के कारण वे जनता के बीच बहुत लोकप्रिय थे। वे एक विद्वान्, शिक्षक और लेखक भी थे। रामास्वामी वेंकटरमण भारतीय राजनीति के इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व थे और उनकी सेवाएं देश को हमेशा याद रहेंगी।

9. शंकरदयाल शर्मा(१९१८–१९९९)

शंकरदयाल शर्मा

पदग्रहण: २५ जुलाई १९९२ (१९९२ चुनाव)

पदमुक्त: २५ जुलाई १९९७

उपराष्ट्रपति: के. आर. नारायणन

टिप्पणी

शर्मा एक पूर्व मुख्यमंत्री और संचार मंत्री हैं जिन्होंने मध्य प्रदेश की सेवा की है। उनके अलावा, वे आंध्र प्रदेश, पंजाब और महाराष्ट्र के राज्यपाल भी रह चुके हैं।

शंकरदयाल शर्मा भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे। उन्होंने 9 अप्रैल 1992 से 25 जुलाई 1997 तक इस पद पर रहा। शंकरदयाल शर्मा एक जाने माने शिक्षाविद् और राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने अपने राजनैतिक और सामाजिक कार्यों के लिए कई विभिन्न पुरस्कार जीते हैं।

शंकरदयाल शर्मा का जन्म 19 अगस्त 1918 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा भी ग्वालियर में ही प्राप्त की थी। उन्होंने अपनी राजनीतिक करियर को संघर्षपूर्ण माना था और इसीलिए उन्होंने अपने जीवन में निरंतर संघर्ष और समाजसेवा के कार्यों में लगे रहे।

10. के. आर. नारायणन(१९२०–२००५)

के. आर. नारायणन

पदग्रहण: २५ जुलाई १९९७ (१९९७ चुनाव)

पदमुक्त: २५ जुलाई २००२

उपराष्ट्रपति: कृष्ण कान्त

टिप्पणी

नारायणन चीन, तुर्की, थाईलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत के राजदूत के रूप में सेवा कर चुके थे। उन्होंने विज्ञान और कानून की डॉक्टरेट उपाधि हासिल की थी। वे जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के कुलपति भी रह चुके हैं।

के. आर. नारायणन भारत के 14वें राष्ट्रपति थे। वह भारतीय राजनीति के जाने-माने नेताओं में से एक थे और उन्होंने अपने जीवन के दौरान विभिन्न जगहों पर महत्वपूर्ण पदों पर काम किया।

उन्होंने संघीय सभा और राज्य सभा के सदस्य के रूप में भी काम किया था। के. आर. नारायणन एक वकील भी थे और उन्होंने भारतीय न्याय व्यवस्था को अपनी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

उन्होंने भारतीय संविधान के लिए अपने ज्ञान और बुद्धि का प्रयोग किया और इसके लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण सम्मान से नवाजा गया था।

11. ऐ. पी. जे. अब्दुल कलाम(१९३१-२०१५)

ऐ. पी. जे. अब्दुल कलाम

पदग्रहण: २५ जुलाई २००२ (२००२ चुनाव)

पदमुक्त: २५ जुलाई २००७

उपराष्ट्रपति: भैरोंसिंह शेखावत

टिप्पणी

अब्दुल कलाम मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक थे, जिन्होंने मिसाइल और परमाणु हथियार बनाने में मुख्य योगदान दिया था। उन्हें भारत रत्न सम्मान भी प्रदान किया गया था। वे भारत के मिसाइल मैन भी माने जाते हैं।

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। उन्हें एक वैज्ञानिक और एक कर्मठ शिक्षक के रूप में जाना जाता है जिन्होंने अपनी उच्च विद्यालय शिक्षा के बाद भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में अहम भूमिका निभाई।

उन्होंने अपने जीवन के दौरान अनेक विभिन्न स्थानों पर महत्वपूर्ण पद भी संभाले जैसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री, भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष विज्ञान संस्थान के निदेशक और अंततः भारत के राष्ट्रपति बने।

उन्होंने भारतीय युवाओं के बीच बहुत लोकप्रिय होकर एक महान व्यक्तित्व के रूप में अपनी जगह बना ली थीं।

12. प्रतिभा पाटिल(जन्म १९३४)

प्रतिभा पाटिल

पदग्रहण: २५ जुलाई २००७ (२००७ चुनाव)

पदमुक्त: २५ जुलाई २०१२

उपराष्ट्रपति: मोहम्मद हामिद अंसारी

टिप्पणी

प्रतिभा पाटिल भारत की पहली महिला राष्ट्रपति थी। वह राजस्थान की भी पहली महिला राज्यपाल थी।

प्रतिभा पाटिल भारत की एक प्रख्यात राजनीतिज्ञ और भारतीय राष्ट्रपति थीं। वे भारत की पहली महिला राष्ट्रपति भी थीं जिन्होंने इस पद की गरिमा को बढ़ाया था। प्रतिभा पाटिल ने अपनी उच्च शिक्षा भी भारत के प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान, मुंबई विश्वविद्यालय से प्राप्त की थी।

उन्होंने अपनी राजनीतिक करियर 1962 में महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य के रूप में शुरू की थी और उसके बाद से वे कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुकी हैं।

13. प्रणब मुखर्जी(१९३५ — 2020)

प्रणब मुखर्जी

पदग्रहण: २५ जुलाई २०१२ (२०१२ चुनाव)

पदमुक्त: 24 जुलाई 2017

उपराष्ट्रपति: मोहम्मद हामिद अंसारी

टिप्पणी

प्रणब मुखर्जी भारत सरकार में वित्त मंत्री, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में काम कर चुके हैं।

प्रणब मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति थे। उन्होंने 2012 से 2017 तक भारत के राष्ट्रपति के पद पर कार्य किया था। प्रणब मुखर्जी एक अत्यंत अनुभवी राजनेता थे जिन्होंने भारतीय राजनीति में लम्बे समय तक सेवा की थी।

उन्होंने अपनी जीवनकाल में भारतीय राजनीति के कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया था जिनमें से संसद के उपाध्यक्ष, वित्तमंत्री, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, और उच्च न्यायालय के जज शामिल थे। उन्होंने भारत के लिए अपने जीवन में बहुत से महत्वपूर्ण फैसले लिए थे।

14. राम नाथ कोविन्द (जन्म:1 अक्टूबर 1945) 

राम नाथ कोविन्द

पदग्रहण: 25 जुलाई 2017

पदमुक्त: 24 जुलाई 2022

उपराष्ट्रपति: वेंकैया नायडू

टिप्पणी

ये राज्यसभा सदस्य और बिहार राज्य के राज्यपाल भी रह चुके हैं।

राम नाथ कोविन्द भारत के 14वें राष्ट्रपति हैं। उन्होंने अपनी जीवन की विभिन्न विभागों में बड़ी सफलता हासिल की है। वे उत्तर प्रदेश के परंपरागत ग्रामीण क्षेत्र से बड़ी हुई हैं और अपनी अधिकतर शिक्षा अलीगढ़ में प्राप्त की है।

उन्होंने विभिन्न स्थानों पर न्यायाधीश के रूप में काम किया और भारत के संविधान को समझने और उसके लिए समर्पित रहे। राम नाथ कोविन्द भारत के संविधान और संवैधानिक मुद्दों के एक विशेषज्ञ हैं जिन्होंने विभिन्न स्थानों पर अपनी विदेश यात्राएं भी की हैं।

उन्होंने भारतीय राजनीति में भी अपनी भूमिका निभाई है और अपने न्यायिक तथा सामाजिक कार्यों से लोगों के बीच बड़ा उत्साह भरा है।

15. द्रौपदी मुर्मू (जन्म:20 जून 1958)

द्रौपदी मुर्मू

पदग्रहण: 25 जुलाई 2022

पदमुक्त: पदस्थ

उपराष्ट्रपति: जगदीप धनखड़

टिप्पणी

द्रौपदी मुर्मू को मई 2015 में झारखंड की 9वीं राज्यपाल नियुक्ति मिली थी। उन्होंने साल 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत हासिल की और उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ। वे ओडिशा के मयूरभंज जिले की रायरंगपुर सीट से 2000 और 2009 में भाजपा के टिकट से दो बार विधायक चुने गए थे। 2000 और 2004 के बीच उन्हें वाणिज्य, परिवहन, मत्स्य और पशु संसाधन विभागों में मंत्री बनाया गया था। 

Leave a Comment